नई दिल्ली। देश में मचे राजनीतिक भूचाल के बीच अब एक ऐसा बड़ा खुलासा हुआ है जो सपा और कांग्रेस के रिश्तों पर कड़वाहट पैदा कर सकता है। वकील ने सुप्रीम कोर्ट को बताया है कि राहुल गांधी पर लगे आरोपों के पीछे उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव का हाथ है।
काग्रेस महासचिव राहुल गाधी के खिलाफ बलात्कार और लड़की को बंधक बनाकर रखने के संबंध में इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में दी गई चुनौती के संबंध में दायर याचिका पर सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के वकील ने यह रहस्योद्घाटन किया। उन्होंने सोमवार को सर्वोच्च न्यायालय को बताया कि वर्ष 2011 में काग्रेस नेता राहुल गाधी के खिलाफ बलात्कार और लड़की को बंधक बनाकर रखने के संबंध में इलाहाबाद उच्च न्यायालय में जो मामला दाखिल किया गया था वह समाजवादी पार्टी (सपा) नेता अखिलेश यादव के इशारे पर हुआ था। वकील का यह खुलासा अखिलेश सरकार के लिए नई मुश्किलें खड़ी कर सकता है।
न्यायमूर्ति बीएस चौहान और न्यायमूर्ति स्वतंत्र कुमार की पीठ को अधिवक्ता कामिनी जायसवाल ने यह बात बताई। अदालत मध्य प्रदेश के पूर्व विधायक किशोर समरीते की उस याचिका पर सुनवाई कर रही थी जिसमें उन्होंने इलाहाबाद उच्च न्यायालय के एक फैसले को चुनौती दी थी। उच्च न्यायालय ने समरीते के खिलाफ सीबीआई जाच शुरू करने का निर्देश दिया था और साथ ही उन पर 50 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया था। सर्वोच्च न्यायालय ने उच्च न्यायालय के फैसले के क्रियान्वयन पर रोक लगा दी थी। समरीते की वकील जायसवाल ने अदालत से कहा कि उन्हें पंडारा रोड से निर्देश मिला था कि वह राहुल गाधी के खिलाफ उच्च न्यायालय जाएं। न्यायमूर्ति स्वतंत्र कुमार ने पंडारा रोड के जिक्र पर स्पष्टीकरण मागा तो जायसवाल ने कहा कि निर्देश उत्तर प्रदेश के वर्तमान मुख्यमंत्री की ओर से मिले थे।
उन्होंने कहा, उन्हें (समरीते) पंडारा रोड से याचिका दायर करने का निर्देश मिला था। न्यायमूर्ति कुमार ने पूछा,आप पहचान क्यों नहीं जाहिर कर रही हो। जायसवाल ने कहा, वर्तमान मुख्यमंत्री और पार्टी के नेता। मैंने केंद्रीय जाच ब्यूरो (सीबीआई) के सामने भी यही बयान दिया है।
जायसवाल ने जैसे ही अखिलेश यादव का नाम लिया, उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से नियुक्त वकील रत्नाकर दाश ने इस मामले में अखिलेश यादव की संलिप्तता का विरोध किया। दाश ने कहा कि आरोपों का जवाब देने के लिए दायर किए जाने वाले शपथ पत्र के लिए उन्हें निर्देश लेने पड़ेंगे। इसके बाद अदालत ने कार्यवाही 17 सितम्बर तक के लिए स्थगित कर दी। इससे पहले राहुल गाधी ने एक शपथ पत्र दायर कर आरोपों का खंडन किया था। उन्होंने याचिका खारिज किए जाने की भी माग की थी।